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सख्त पत्थर

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच

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सख्त पत्थर को गला पानी बनाकर दम लिया।
जब हठीले बनगए महफिल सजाकर दम लिया।।

हारते कैसे बताओ जंग नाहक से ठनी।
जान दे दी हमने अपनी सिर कटाकर दम लिया।।

जिद यही थी के सरापा तम हमें भी घेर ले।
किन्तु हमने डूबता सूरज उगाकर दम लिया।।

लब रहे प्यासे भले मैदान में टूटे न हम।
प्यास को भी तो वहां दासी बनाकर दम लिया।।

लाख आए जलजले तूफान लेकिन क्या हुआ।
हकपरस्तों ने शमा हक की जलाकर दम लिया।।

फूलती फलती भला कैसे यजीदी भावना।
लुट गया इब्नेअली लेकिन मिटाकर दम लिया।।

ताकयामत हक न हारेगा भरोसा रखा “अनन्त”।
हकसदा कायमरहा सिक्का चलाकर दम लिया।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


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