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खुशी से मिली नई खुशी

मंजू लोढ़ा
परेल मुंबई (महाराष्ट्र)

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 घटना अप्रैल २०१९ की है मुंबई के अपर वर्ली इलाके मे स्थित आवासीय इमारत लोढा वर्ल्ड टॉवर्स मे जैनों के बारहवें तीर्थंकर, भगवान वासूपुज्य स्वामी के हमारे नए मंदिर का अंजनशलाका प्रतिष्ठा समारोह था, मंदिर में प्रभु की प्रतिमाओं का प्राण प्रतिष्ठा का समारोह था। यह चार दिवसीय कार्यक्रम बहुत धूमधाम से संपन्न हुआ। इस अंजन शलाका प्रतिष्ठा महोत्सव में होने वाले धार्मिक कार्यक्रम में मैं और मेरे पति मंगल प्रभात लोढ़ा जी ने परंपरा अनुसार प्रभु के माता-पिता का पात्र निभाया। हमारी बड़ी पोती यशवी उस प्रतिष्ठा समारोह में प्रियंवदा दासी का पात्र निभा रही थी। इसी दौरान यशवी से उसके दादाजी बोले- ‘यशवी, मैं और आपकी दादी प्रतिष्ठा महोत्सव में राजा रानी, प्रभु के माता-पिता का पात्र निभा रहे हैं, तो आप राजकुमारी यानी भगवान की बहन का पात्र निभा लो।” तो, उन दिनों सिर्फ ११ वर्ष की मेरी पोती यशवी ने जो जवाब दिया उस जवाब ने मेरे मन में उसके प्रति स्नेह को कई गुना बढ़ा दिया। यशवी बोली- ‘दादा, प्रियंवदा, राजा सहित सभी सभासदों और समस्त जनता को भगवान के जन्म लेने की खुशखबरी सुनाती है। यह खबर सुनकर पूरा राज्य खुशी से झूम उठता है। प्रियवंदा सबके हृदय को यह खबर सुना कर आनंद से सराबोर कर देती हैं, भगवान का जन्म हुआ इस खुशी को सुनाने से बड़ी और क्या बात होगी। फिर मेरा तो जन्म ही सबको खुशी बांटने के लिए हुआ है। इसलिए मै तो प्रियंवदा का ही पात्र निभाऊंगी। मुझे राजकुमारी नहीं बनना।” हम दोनों अचंभित होकर उसका दमकता चेहरा देखकर दंग रह गए वैसे यशवी का घर का नाम भी “खुशी” ही है। खुशी की उस एक छोटी सी बात ने हमको जीवन भर की बहुत बड़ी खुशी दे दी। बच्चे सच में, हमे कई बार बातों-बातों में बहुत कुछ सिखा देते हैैं। उसके मन के भावों को सुनकर हमारे मन में उसके लिए बहुत सम्मान बढ़ गया। यह बात जानकर उस समय समारंभ में उपस्थित सभी साधु भगवंतोंं ने उसकी बहुत सहारना की। ऐसे भी वह बहुत सहृदय हैं। इस उम्र में भी वह जरूरतमंदों की बहुत मदद करती है। कोविड की प्रथम लहर के समय उसने शहीद सैनिक परिवारों के लिए अपनी जेब खर्च से राज्यपाल महोदय को धनराशि प्रदान की। दूसरी लहर में कोविड़ रिकवरी सेंटर में धन राशि प्रदान की। स्कूल से आते हुए भी हर समय अपने खाने में से कुछ बचा कर किसी गरीब बच्चे को जरूर खिलाती हैं। अभी स्कूल बंद है पर जब भी बाहर जाती है कुछ ना कुछ खाने का जरूर लेकर जाती हैं और किसी जरूरतमंद को जरूर खिलाती हैं। बचपन से उसके अंदर इन भावों को देखकर मुझे उस पर गर्व होता है।

परिचय :- मंजू लोढ़ा
निवासी : परेल मुंबई (महाराष्ट्र)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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