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रचयिता : पवन शर्मा “हमदर्द”
चौकीदार को चोर बनाया,
राफेल का गीत सुनाया,
जनता को खूब बरगलाया,
फिर भी हाथ कुछ नहीं आया,
मोदी जी ने ३०० का आंकड़ा छुआ
खेर जाने दो “हुआ सो हुआ”।।
सुप्रीम कोर्ट में बोला झूठ,
एयर स्ट्राइक पर मांगा सबूत,
सब जगह से पार्टी हारी,
और अमेठी से हारा खुद,
इज्जत का तो बुरा हाल हुआ।
खैर जाने दो “हुआ सो हुआ”।।
गठबंधन ना कर पाया काबू,
देखते ही रह गए चंद्रबाबू,
हर तरफ हुई जगहंसाई,
राज्य में अपनी भी सीट गवाई,
ना दवा काम आई ना दुआ।
खेब जाने दो “हुआ सो हुआ”।।
जो मोदी को चोर बता रहे थे,
तौहमतें उन पर लगा रहे थे,
जनता ने कर लिया चुनाव,
उल्टे पड़ गए सारे दांव,
सिल दिए सभी के होठ,
बिन सुतली बिन सुआ।
खैर जाने दो “हुआ सो हुआ”।।
अपनी हार को भाप गया,
इसलिए वायनाड भाग गया,
पार्टी की हुई बहुत बुरी गत,
अपनी भी खूब करवाई फजीहत,
खुद ही गिर गए उसमें,
मोदी के लिए जो खोदा था कुआं।
खैर जाने दो “हुआ सो हुआ”।।
कैसे बदल गए हालात,
खत्म हो गया जातिवाद,
जाति धर्म सब छोड़ कर,
आखिर जीत गया राष्ट्रवाद,
देखते रह गए बबुआ और भुआ।
खैर अब जाने दो “हुआ सो हुआ”।।
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