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हनुमानजी की वंदना

प्रिन्शु लोकेश तिवारी
रीवा (म.प्र.)

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लोग कहते तेरी पूजा होवे २ केवल मंगलवार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।
लोग कहते तोही शेदुर चढ़ता २ केवल मंगलवार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।१।
तू ही मेरा करता धरता।
तेरी पूजा आरति करता।
बस यही मेरा कारोबार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।२।
पवन पुत्र अंजनि के नंदन।
तेरा प्रभु करता हूँ वंदन।
तु ही मेरी सरकार ।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।३।

हनुमानजी की महिमा

रामचंन्द्र जब जनम लियो है।
मिलने की इच्छा प्रगट कियो है।
आप पहुँचे दशरथ द्वार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।४।
असुर कहे तम्हें छोटा बंदर।
मारा उनको घुस के अंदर।
धरे देह विकराल।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।५।
महाबली हो महा हो ज्ञानी।
हारे सभी असुर अभिमानी।
कलि का तुम ही हो आधार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।६।
लंका मे जब आग लगाई।
डर गए है राक्षस समुदाई।
सब करे तेरी जय जयकार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।७।
कोई कहे यह देव रूप है।
कोई कहे नहि राम दूत है।
कोइ शंकर अवतार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।८।

हनुमानजी से प्रश्न

एक बात मैं समझ न पाया।
पैसा वाला ही मंदिर आया।
इक गरीब करे क्यू गुहार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।९।
पुरुष ही बस तेरे मंदिर आता।
महिलाओं को क्यू खेदा जाता।
इनसे क्यू दुर्व्यवहार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।१०।

हनुमानजी से निवेदन

प्रभु ध्यान न देना मेरा द्येष को।
क्षमा करना इस प्रिन्शु लोकेश को।
विनती करुँ सरकार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।११।
भगवन मिलना किसी भी भेश पर।
कृपा करना जरूर प्रिन्शु लोकेश पर।
दर्शन देना हमें इक बार।
हमारे लिये हर दिन मंगलवार।१२।

परिचय :-  प्रिन्शु लोकेश तिवारी
पिता – श्री कमलापति तिवारी
स्थान- रीवा (म.प्र.)

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