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मुट्ठी भर न मिला अनाज

प्रीति नेमा
भैंसा, (नरसिंहपुर)
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अपनी विजय पर मत इतराना
कर न कभी तू इस पर नाज
मिट्टी से कुछ पूछ ले बंदे
सोता कहां सिकन्दर आज

उनका भी कुछ पता पूछना
लूटा करते थे जो लाज
जितने राजे महाराजे थे
उनके आज कहाँ हैं ताज

जो मालिक थे रतन खान के
भूखे ही मर गए बेताज
न तो मिला कफन ही उनको
न मुट्ठी भर मिला अनाज

जाना जहाँ है तुम्हें अंत में
कल भी था सुनसान है आज
न शहनाई न बाजे- गाजे
वहाँ काम न आये साज

प्रभु की लाठी जब पड़ती है
सदा पड़े वो बेआवाज़
बिन कौधे बिजली गिरती है
यमदूतो की गिरती गाज

केवल तेरे पुण्य कर्म ही
आ पायेंगे तेरे काज
किये कुकर्म जाने अनजाने
बे हर लेगें तेरी लाज

परिचय :- प्रीति नेमा
पिता : श्री रामजी नेमा
निवासी : भैंसा जिला- नरसिंहपुर
जन्म दिनांक : १४-०८-२०००
शिक्षा : बी.एस.सी

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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