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ज्ञान प्रकाश

अनन्या राय पराशर
संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश)
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मद की ये जो भित्ति है
है बान बहुत ख़राब

बली के सत्व की बलि चढ़े
होय सब कृत्य बर्बाद।।

कर्म की कांति से कलि में
तू हो जग में तरणि समान

बिन आयास न कुल मिले
भीति दे अवरोध हजार।।

चित्र छोड़ चरित्र का
कर तू अब बखान

जिससे मानवता बढ़े
होवे जग कल्याण ।।।

चला गया जो उसे भुलाकर
कर आगत सम्मान

कर कार्य कटिबध्द हो
निज क्षमता पहचान।।

कर दुआ मानवता अनुदिन बढ़े
हो अनुदिन दानवता नाश

मिटे पिचाशी मान्यता
फैले ज्ञान प्रकाश, फैले ज्ञान प्रकाश।।

परिचय :- अनन्या राय पराशर
निवासी : संत कबीर नगर (उत्तर प्रदेश)

घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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