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गुलमोहर

रंजना फतेपुरकर
इंदौर (म.प्र.)

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एक अनजानी खुशबू फ़िज़ाओं में बिखरी थी
कुछ ख्वाहिशें थीं जो निगाहों के दायरे से गुजरी थीं
ख्वाबों से हसीन थी शबनम से जो नाज़ुक थी
वो तुम्हारी यादें थीं जो पलकों को छूकर महकी थीं

भीगी पलकों पर चाहत की नदियां उमड़ी थीं
रात के रुखसार पर चांदनी की यादें सिमटी थीं
उठाकर हथेलियों को जब दुआओं में मांगा तुम्हें
सांझ की अबीरी लाली गुलमोहर की डाली पर उतरी थी

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परिचय :-
नाम : रंजना फतेपुरकर
शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य
जन्म : २९ दिसंबर
निवास : इंदौर (म.प्र.)
प्रकाशित पुस्तकें ११
सम्मान ४५
पुरस्कार ३५
दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित
देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित
रंजन कलश, इंदौर अध्यक्ष
वामा साहित्य मंच, इंदौर उपाध्यक्ष
निवास : इंदौर (म.प्र.)


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