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महान कौन?

अर्चना अनुपम
जबलपुर मध्यप्रदेश

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दोनों हाथों में कत्थाई रंग की तलवारनुमा आकृति वाली दो सूखी बड़ी फल्लियाँ लिये ग्यारह वर्षीय साकेत मित्र सहित शाम ढले घर आया अतिउत्साह में!
“मम्मा! देखो मैं क्या लाया?”
मां- “अरे सक्कू! बेटा क्या लाये ये? गुलमोहर की सूखी फल्ली?” (आश्चर्य पूर्वक)
साकेत- “नहीं मम्मा ये तो तलवारें हैं, तलवारें, दो मेरी दो मेरे दोस्त शिवु की।”
मां- “पर तुम ये क्यों लाये?”
साकेत- “महान बनने।”
मां- “महान बनने!” (अत्यंत विस्मय से)
विभु- “हां आंटी जी, महान बनने, अब हम दोनों मुकाबला करेंगे फिर, जो जीता वो बाकियों से लडे़गा ऐंसे ही तो महान बनते हैं ना?”
मां- “तुमदोनों से किसने कहा ऐंसे कामों से कोई महान बनता है?” (क्रोधपूर्वक)
साकेत- “वैभव एक साथ-आपने! और हमारी इतिहास विषय की शिक्षिका जी ने।” (सहज भाव से)
मां- “क्या; मैने कब कहा? और शिक्षिका से अभी पूंछती हूँ।”
साकेत- “भूल गईं मम्मा? अभी आप उस दिन धारावाहिक पोरस देखकर बोल रहीं थीं, सिकंदर महान थे। फिर हमने अपनी टीचर से पूंछा, तो! उनने भी यही कहा, की हां वो बहुत महान थे। तुम आगे की क्लास में पढ़ोगे। तो हमदोनों ने भी महान बनने के लिये गूगल में खोजा, उसमें यही पढ़ा, की सिकंदर ने पहले अपने भाइयों को मारा फिर दोस्तों को फिर आधी दुनिया को यहां तक की कुछ औरतों को भी सोते में मारडाला जो भी उसके सामने आया सर् उठाया उसके जैंसी बात नहीं की उन्हें तलवार से काट डाला। तब! हमें भी महान बनने के लिये वही सब करना होगा ना! जो सिकंदर ने किया तो शुरूआत तो अपनों से ही करनी होगी तभी ना जीतेंगे दुनिया और बनेंगे महान?”
मां- स्तब्ध मौन हतप्रध।
पास बैठे साकेत के पिता अपनी पत्नी की मनोदश देख आत्मिक आनंदोनुभूति का अनुभव कर मंद मंद मुस्काते हुये, जिनने कई बार पत्नी जी की पाश्चात्य निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगाने चाहे पर पत्नी जी किसी की सुनें तब ना।
पिता- “बेटा साकेत वैभव! जो अपनी भूमि बचाने लड़े वो ‘वीर फौजी’; जो औरों की भूमि छीनने निर्दोष को मारे वो ‘क्रूर सिकंदर’ अब बताओ क्या बनोगे?
दोनों बच्चे- “वीर फौजी।”
शिक्षा- अपने विवेक से विचारें आप अपनी संतति को क्या बनाना चाहते हैं? वही चरित्रिक दर्शन उसके नवपटल पर स्थापित करें। कच्ची मिट्टी को जैंसा ढालोगे आकार तैंसा पाओगे। विशेषतः पाश्चात्य रूपी नासमझी के अश्व पर आरूढ. आधुनिक मातायें।

परिचय :- अर्चना पाण्डेय गौतम
साहित्यिक उपनाम – अर्चना अनुपम
जन्म – २१/१०/१९८७
मूल निवासी – जिला कटनी, मध्य प्रदेश
वर्तमान निवास – जबलपुर मध्यप्रदेश
पद – स.उ.नि.(अ),
पदस्थ – पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय जबलपुर जोन जबलपुर, मध्य प्रदेश
शिक्षा – समाजशास्त्र विषय से स्नात्कोत्तर
सम्मान – जे.एम.डी. पब्लिकेशन द्वारा काव्य स्मृति सम्मान, विश्व हिन्दी लेखिका मंच द्वारा नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ कवियित्री सम्मान, लक्ष्मी बाई मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंट लेडी अवार्ड, विश्व हिन्दी रचनाकार मंच द्वारा – अटल काव्य स्मृति सम्मान, शहीद रत्न सम्मान, मोमसप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान २०१९..
विधा – गद्य पद्य दोनों..
भाषा – संस्कृत, हिन्दी भाषा की बुन्देली, बघेली, बृज, अवधि, भोजपुरी में समस्त रस-छंद अलंकार, नज़्म एवं ग़ज़ल हेतु उर्दू फ़ारसी भाषा के शब्द संयोजन
विशेष – स्वरचित रचना विचारों हेतु विभाग उत्तरदायी नहीँ है.. इनका संबंध स्वउपजित एवं व्यक्तिगत है
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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