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सब पा लिया

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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(तर्ज: मैं कही कवि न बन जाऊ..)

तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है।
तेरे दर पर आके हमने
सिर को झुका लिया है।।
तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है।।

आवागमन की गालियाँ
न हत बुला रही थी..२।
जीवन मरण का झूला
हमको झूला रही थी।
अज्ञानता की निद्रा
हमको सुला रही थी।
नजरे नरम हुई है
तेरा आसरा लिया जब।।
तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है..।।

तेरे प्यार वाले बादल
जिस दिनसे घिर गये है.. २।
दूरगुण के निसंक के पर्वत
उस दिन से गिर गये है।
रहमत हुई है तेरी
मेरे दिन फिर गये है।
तेरी रोशनी ने सदगुरु
रास्ता दिखा दिया है।।
तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है..।।

संजय का ये गीत
गुरु प्रभु को हैं समर्पित..२।
अपनी कृपा हे गुरुवर
मुझ पर बनाये रखना।
अपने चरणो में मुझको
थोड़ी जगह जरूर देना।
अज्ञानी हुई मैं गुरुवर
मुझे ज्ञान आप देना।।
तेरा प्यार पा के हमने
सब कुछ पा लिया है..।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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