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गोपियाँ, पहना रही हैं टोपियाँ

आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश

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                                                                  भारत ही नहीं अपितु वैश्विक स्तर पर गोपियों का महत्व और वर्चस्व सदा से कायम रहा है और आगे भी रहेगा! सतयुग, त्रेता, द्वापरयुग से लेकर आज तक गोपियों के महत्व में कोई परिवर्तन नहीं है! पहले गोपियाँ पनघट में पानी भरते पायी जाती थीं, सावन में झूले झूलती पायी जाती थीं! बाग बगीचों में आपस में हास, परिहास, इठलाती, बलखाती पायी जाती थीं, तब नटखट नंदलाला इनको छेंड़ा करता था और ये हंसी खुशी छिंड़ जाया करती थीं! नंदलाला से छिड़ंकर ये इठलाया करती थीं! कहते हैं समय बड़ा ही परिवर्तनशील और परिवर्तन भरे दौर में इन गोपियों में भी भयंकर परिवर्तन आया है, अब गोपियों के हाथ में एंड्रायड मोबाइल है और ये गोपियाँ फेसबुक पर पायी जा रही हैं! स्वयं छिड़ने के बजाय अब तो फेसबुक पर खुलेआम, नंदलाला और नंदूलाल चच्चा को ही छेंड़े जा रही हैं! भारतवर्ष में यत्र नार्यस्तु पूजयंते रमन्ते तत्र देवता: का सिद्धांत सर्वोपरि माना जाता है इसलिए चच्चा नंदूलाल और नंदलाला भी सोशलमीडिया में गोपियों से छिंड़कर खुद को परम सौभाग्यशाली समझ रहे हैं! इन छेडूं टाइप की गोपियों के लिए दिल्ली कभी दूर नहीं रही है, फेसबुक पर नंदलाला से लेकर नंदूलाल चच्चा तक को यह एक ही स्पीड में छेंड़ रही हैं! और सबसे बड़ी बात है कि ये पल-पल छिन-छिन में नंदलाला और नंदूलाल ही बदल देती हैं, पहले वाले को तभी छोड़ती हैं जब दूसरा फंस चुका होता है! सोशलमीडिया आदि पर पुरुषों को छेड़ना तो जैसे इन गोपियों के दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो चुका है!
सोशलमीडिया के प्रत्येक प्लेटफार्म पर गोपियाँ यत्र तत्र सर्वत्र छाई हुई हैं! फेसबुक की ये गोपियाँ इसकी टोपी उसके सिर करने में सिद्धहस्त हो चुकी हैं! जबकि इनके दीवाने हो चुके फेसबुक के नंदलाला और नंदूलाल इन गोपियों की वाजिब उम्र तक का पता नहीं लगा पा रहे हैं! वही ये गोपियाँ एक मुस्कान के बदले में ही नंदूलाल चच्चा और नंदलाला का इतिहास भूगोल सब नाप लेती हैं! लोक लुभावना प्रोफाइल तस्वीर देखकर रोजाना सैकड़ों नंदलाला और नंदूलाल इन गोपियों पर फिदा हो रहे और इनको स्वर्ग से अवतरित हुई किसी अप्सरा सी जान पड़ती हैं!सोशलमीडिया के इस दौर में गोपियाँ फेसबुक का इस्तेमाल सिर्फ नंदलाला और नंदूलाल चच्चा को मुर्गा बनाने के लिए ही कर रही हैं, इन गोपियों को किसी तरह के एक्ट का डर नहीं रहता और इनके लिए एफ़.आइ.आर. नाम की कोई चिड़िया दूर तक खुले आकाश में उड़ा नही करती! जब जिसको जी मे आया ये गोपियाँ मीठे-मीठे कमेंट करके छेड़े जा रही हैं कमेंट पर इतना उकसा देती हैं कि मजबूरी में नंदलाला और नंदूलाल चच्चा को इनके मैसेंजर पर आना पड़ता है! गोपियों से नंदलाला और नंदूलाल चच्चा को छिड़ने से और बलि का बकरा बनने से रोकथाम के लिए अब तो सरकार को ही कोई ठोस कदम उठाने होंगे!

परिचय :- आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन- आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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