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सौभाग्य

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)

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विवाह के पश्चात समस्त कुल परम्पराओं का निर्वाह करती मीरा आज २८ वर्षों से दशामाता की पूजा करती आई है। पहली पूजा पर वो बहुत खुश थी। सासु माँ ने बताया था कि इस पूजा को भक्ति भाव और श्रद्धा के साथ करने से घर की दशा सुधरती है। कल जब स्वयं की बहू को जानकारी दी तो यही सब बताया था उसने! बहु ने कहा-मम्मीजी पूजा करने से दशा नहीं सुधरती, दशा तो सुधरती है ईश्वर में श्रद्धा और आस्था रखकर कर्म करने से और आप लगातार करती आई है। इस वाक्य की आधी लाइन सुनते ही मीरा की सासूमाँ जो विगत १० वर्षों से दशा पूजा अकारण ही छोड़ चुकी थी, बोल पड़ी- “सही तो कहा बहु ने इसे अभी से इस जिम्मेदारी को देने की जरूरत नही, तुम हो ना। तुम ही करती रहो।”
पुरानी पीढ़ी की जिद्द और नई पीढ़ी के नए विचार, लम्बी निश्वास के साथ मीरा अपना कर्तव्य निर्वाह करती हुई पूजा करने चल पड़ी। हर बार की तरह सोचने लगी। आगामी दो माह तक गर्मी के कारण पीपल के पेड़ की दशा ना बिगड़े इसलिए उसे जल अर्पित कर, पूजा करने के महायज्ञ में उसे भागीदार बने रहना चाहिए। प्रकृति और पर्यावरण की दशा सुधरेगी तो सबकी दशा सुधर जाएगी। मीरा अब भी खुश थी कि सुहाग के ना रहने पर भी उसके पति के घर की दशा सुधारने की आस्था का सौभाग्य आज भी ईश्वर ने उसे दिया हुआ है।

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परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड ,बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)


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