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सद्भावना

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रचयिता : मित्रा शर्मा

अमृत तुल्य समयको
सदुपयोग करना होगा
सुकर्म के राह में चलकर
सद्चरित्र अपनाना होगा।
ढल जाती है यह रूप और
यौवन तय वक्त पे
सद्भावना प्रेम अपनापन
सदा हराभरा रहता है।
ख्वाहिशें क्या रखना यह
नष्वर शरीर के लिए
 पर उपकार सदाचार
 बेहतर है जीने के लिए।
कभी किसी के लिए किया हुआ
 दुआ खाली नही जाती है
 इस्वर के फैसले हमारे
ख्वाहिशों से बेहतरीन होते है।

परिचय : मित्रा शर्मा – महू (मूल निवासी नेपाल)

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