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जाता लम्हा

मनमोहन पालीवाल
कांकरोली, (राजस्थान)

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जाता लम्हा मेरे लिये रूक जा
कुछ बात मेरे से भी कर जा

सदियों से इंतजार किया जिसका
चांदनी रात मे अमृत बरसा कर जा

दिल का इरादा चाॅद भी जान रहा
सितारो की बारात ले कर जा

समुद्र की लहरे शहनाई बजा रही
मौजे अपनी जगह नृत्य कर जा

साहिल ने भी देखो करवट बदली
ए पलों आज उनको मिला कर जा

कभी के बे कशी में जीये जा रहे है
बारात फूलों की मोहन सजाकर जा

परिचय :- मनमोहन पालीवाल
पिता : नारायण लालजी
जन्म : २७ मई १९६५
निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान
सम्प्रति : प्राध्यापक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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