विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है
रातदिन की घटना, हल करने सामर्थ्यवान होता है
द्वेष भाव रखने से ही, संबंधों में व्यवधान होता है
स्पष्टवादी तथ्यों से, पक्ष अपना आसान होता है
बिन सटीक जवाब से, मानव का नुकसान होता है
नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है।
पथगामी को सुख सिवाय, कष्टप्रद कमान होता है
मुसीबत से बचने में, किसी वक़्त का दान होता है
ईश्वर निर्मित विधान से, मानव तो नादान होता है
नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है।
राह की अदृश्य मुश्किलें, नितांत अनजान होता है
शायद इसी वजह से कभी, भाग्य वरदान होता है
पुल तले शेर पसरा, ऊपर मानव महान होता है
नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है।
हाथ पर हाथ रखे रहना, बहुत आसान होता है
आसमां से गिरे बिजली, जीवन अवसान होता है
कभी अन्य भाग्य से चलित, जीवन भाग्य होता है
नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है।
वृक्ष तले सुप्त सुंदर युवा, गरीब किसान होता है
बग्गी से गुजरता राजा, बेचारा निःसंतान होता है
उसको दत्तक पुत्र बनाने, दिल में अरमान होता है
नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है।
राहों की कोई सुंदरी, राजकुमारी परिधान होता है
सोए युवा पे मोहित हो, वैवाहिक फलदान होता है
युवा बेचारा क्या जाने, सपनों में धनवान होता है
नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है।
मां बेटी राह अकेले में, कपटी का अरमान होता है
गंतव्य पहुंचाने सहयोग, आग्रही फरमान होता है
मां के पूर्वाभास से ही, कपटी का प्रस्थान होता है
नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है।
मुसीबतें तो आनी-जानी, सहारा समाधान होता है
मुसीबतें पछाड़ने से, इंसानों का सम्मान होता है
परोक्ष मुसीबतों पर दृष्टि, ईश्वर का संधान होता है
नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है।
रातदिन की घटना, हल करने सामर्थ्यवान होता है
हर नाकाम कोशिश पे स्वयं का बलिदान होता है
नेपथ्य घटना से अक्सर, बेखबर इंसान होता है।
परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़
उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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