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भगवान बचाए रखना

आशीष तिवारी “निर्मल”
रीवा मध्यप्रदेश

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भटक चुका है कितना बचपन,
भगवान बचाए रखना,
हाथों में है मोबाइल, सिगरेट,
गन भगवान बचाए।

रोती हैं बेबस कितनी
सीते और द्रोपती अब भी,
घूम रहे दुर्योधन रावण,
दु:शासन, भगवान बचाए रखना।

गलियों में निर्वस्त्र घुमाया
इक अबला को मिलकर सबने ,
घोषित कर के उसको डायन,
भगवान बचाए रखना।

सड़कों से संसद तक जा पहुंचे
जेबकतरे जितने थे,
जेलों से भी जीत रहे हैं इलेक्शन,
भगवान बचाए रखना।

तबाही के मुहाने पर है खड़ी
युवा पीढ़ी अब तो निर्मल,
ले रहे दवाई देख-देख विज्ञापन,
भगवान बचाए रखना।

 

परिचय :- कवि आशीष तिवारी निर्मल का जन्म मध्य प्रदेश के रीवा जिले के लालगांव कस्बे में सितंबर १९९० में हुआ। बचपन से ही ठहाके लगवा देने की सरल शैली व हिंदी और लोकभाषा बघेली पर लेखन करने की प्रबल इच्छाशक्ति ने आपको अल्प समय में ही कवि सम्मेलन मंच, आकाशवाणी, पत्र-पत्रिका व दूरदर्शन तक पहुँचा दीया। कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल वर्तमान समय में कवि सम्मेलन मंचों व लेखन में बेहद सक्रिय हैं, अपनी हास्य एवं व्यंग्य लेखन की वजह से लोकप्रिय हुए युवा कवि आशीष तिवारी निर्मल की रचनाओं में समाजिक विसंगतियों के साथ ही मानवीय संवेदनाओं से परिपूर्ण, भारतीय ग्राम्य जीवन की झलक भी स्पष्ट झलकती है, इनकी रचनाओं का प्रकाशन एवं प्रसारण विविध पत्र-पत्रिकाओं एवं दूरदर्शन- आकाशवाणी के विविध केंद्रों से निरंतर हो रहा है। वर्तमान समय पर हिंदी और बघेली के प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं।


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