धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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गाओ माँ भारती की महिमा,
जीवन सुखमय आराम है….वीर सपूतों ने दे दी बलिदानी,
मातृभूमि खातिर हो गए कुर्बानी।
उनके वीरता को करे सलाम हैं …जग में सोने की चिड़ियाँ कहलायें,
विश्व पटल पर जो परचम लहरायें।
यही भारत भूंईया के काम हैं…अमर शहीदों को नमन करते हैं,
हर-पल, हर-क्षण वंदन करते हैं।
यही तो मातृभूमि की धाम हैंतीन रंगों से निर्मित हैं तिरंगा,
आन-बान-शान इनके है अंगा।
माँ भारती की असली दाम हैं …अनेकता में एकता यही विशेषता हैं,
समन्वय भाव पुष्प यही विशालता हैं।
भारत की करते हम बखान हैं …भारत देश प्राणों से प्यारा हैं,
गंगा यमुना सरस्वती तीनों धारा हैं।
दृश्य अनुपम नयनाभिराम हैं …स्वदेश की रक्षा हिमालय करती है,
कन्याकुमारी चरणों को धोती हैं।
चारों दिशाओं में तीरथ धाम हैं ….संतो का गढ़ सूर, तुलसी, कबीरा,
कपिल, कणाद, गौतम, महावीरा।
ऋषि-मुनि दार्शनिकों के नाम हैं ..देव-तुल्य बनकर सब पूजनीय हैं,
अमरत्व पा लिये वो सब वंदनीय हैं…
आदर्शो को अपनाना काम हैं …गीता पुराण आगम गुरूग्रंथ कुरान,
महाभारत बाइबिल और रामायण।
सर्व धर्मग्रंथ महाकाव्यों का नाम हैं ..हिंदू मुस्लिम और सिक्ख इसाई हैं,
सभी धर्मों में सब एक ही समाई हैं।
पहुँचना सबका एक ही मुकाम हैं…आओ गाएँ भारत की महिमा,
बढ़ाएँ धरती मैय्या की गरिमा।
श्रवण करते सबको प्रणाम हैं…
परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
निवासी : भानपुरी, वि.खं. – गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़
कार्यक्षेत्र : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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