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लड़की

ज्योति लूथरा
लोधी रोड (नई दिल्ली)

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मैं हूँ आज की लड़की,
मेरे भी कुछ अरमान है,
मेरी भी कोई उड़ान है,
मेरा भी सम्मान है।

हाँ मैं जानती हूँ इस
दुनिया में कुछ शैतान हैं,
पर इसमें मेरा क्या अपराध है,
या फिर इनकी मानसिकता
ही खराब है,
क्या कोई दबाव है?

तुम लड़की हो तो चुप रहो,
तुम लड़की हो तो रुक जाओ,
लड़की कोई पुतली नहीं,
उसकी आँखें धुंधली नहीं।

अरे अब तो बदलो,
लड़की को पढ़ाओ,
अपने विचारो को बढ़ाओ,
कुछ तो खुदको याद दिलाओ।

क्यों लड़की किसी पर निर्भर है,
क्यों उसकी आँखों में आँसू है,
अब बन्द करो ये सब,
बहुत देर हो गई है अब।

जिसे देखो लड़की
को सिखाता है,
लड़की को बताता है,
लड़की को ही समझाता है,
उसे डराता है।

काम काम है,
उसका कोई लिंग नहीं,
मानसिकता पिछड़ी है,
उसमें कोई बदलाव नहीं।

जब लड़की घर की इज्ज़त है,
तो पहले उसकी
तो इज्ज़त कर लो,
थोड़ा उसे भी समझ लो,
अपनी मानसिकता
को अब बदलो।

अपनी मानसिकता
को अब बदलो,
लड़की को मत कुचलो

परिचय :- ज्योति लूथरा
संस्थान : दिल्ली विश्वविद्यालय
निवासी : लोधी रोड, नई दिल्ली)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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