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लड़की

लड़की

रचयिता : अविनाश अग्निहोत्री

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अपने पिता के माथे पर चिंता की गम्भीर लकीरे देख। गरिमा उससे बोली, पिताजी हमे पहले तत्काल दादी का मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवा लेना चाहिये। उसकी बात सुन उसके पिता ने कहा, बेटा अगले महीने तेरी शादी है। अभी उसकी सारी तैयारी बाकी है। अब इतनी छोटी सी जमापूंजी में ये दोनों काम एक साथ भला कैसे हो पाएंगे।
तब वह बोली तो मैं अभी कहाँ बूढ़ी हुए जा रही हूँ। शादी हम कुछ माह बाद कर लेंगे। पर क्या तेरे ससुराल वाले इस बात पर राजी होंगे, पिता ने आशंकित हो पूछा। गरिमा बोली पिताजी मैं अनिमेष से बात करके देखती हूँ, वह सुलझे विचारों वाले व्यक्ति है। वे जरूर अपने परिवार को इसके लिये मना लेंगे। गरिमा की बात सुन उसके पिता सहित सारे परिवार का उदास चहरा खिल गया। और दादी को अनायास याद आया कि एक लड़की के जन्म पर उसने गरिमा की माँ को कितने दिनों तक कोसा था।
परिचय :- नाम : अविनाश अग्निहोत्री
पिता श्री सुरेशचंद्र अग्निहोत्री
शिक्षा एम.कॉम.
कार्य सहायक शिक्षक, सरस्वती ज्ञान मंदिर
अन्य कार्यकारणी सदस्य, संस्था विचार प्रवाह

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