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गजल है जिंदगी

दीप्ता नीमा
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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क्या खूब “गजल है जिंदगी”
मचलते दिल की तड़प है जिंदगी।
कहीं खुशियों का महल है जिंदगी,
कहीं आँखों से बहता काजल है जिंदगी।।

क्या खूब “गजल है जिंदगी”
जिंदगी भी तो एक आईना है,
कुछ खरोंच आ ही जाती है।
कितना भी एहतियात बरतो,
पर,कुछ कसर रह ही जाती है।।

क्या खूब “गजल है जिंदगी”
जिंदगी में आते हैं प्यार के रहनुमा,
मिलते हैं तो जिंदगी होती है खुशनुमा।
न मंदिर की घंटी,न मस्जिद की धूम,
हर तरफ सुनाई देती है बस प्यार की गूँज।।

क्या खूब “गजल है जिंदगी”
मौत तो आसाँ है जीना मुश्किल है दोस्त,
हिम्मत है तो तेरे लिए सब मुमकिन है दोस्त।
ठोकर लगे तो भी तू रुकना मत ए दोस्त,
एक नजर तो डाल सामने मंजिल है दोस्त।।
क्या खूब “गजल है जिंदगी”

परिचय :- दीप्ता नीमा
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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