Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

पलायन

डॉ. अलका पांडेय
मुंबई (महाराष्ट्र)

********************

आज दसवाँ दिन था किरण के कारख़ाने को बंद हुऐ, लाकडाऊन के कारण कारख़ाने के कारीगर भी बहुत परेशान थे किरण ने सबको बहुत समझाय बहार कोई व्यवस्था नहीं है, तुम लोगों को यही रहना है तभी कोरोना से बच पाओगें गाँव जाओगें भी कैसे कोई साधन नहीं तुम लोग ज़ब तक यहाँ रहोगे मेरी जवाब दारी है खाना वग़ैरा देने की एक बार बहार गये मेरी कोई जवाबदारी नहीं मेरी बात समझ में आई…..
पर कोई सुन नहीं रहा था दो घंटे मिटींग लेकर सबको सेनेटाईज मास्क देकर सारे निर्देश अच्छे से समझा कर बस घर आकर बैठी ही थी कि कारख़ाने से फ़ोन आता है मेडम छ: लोग भाग गये जो पलायन कर गये उन्हें जाने दो पर तुम लोग बहार, मत जाना और वो लोग आये तो अब वापस नहीं लेना क्योंकि तुम्हें भी बिमार पड़ने का ख़तरा हो सकता है, ठीक है मेमसाहेब, किरण ने नौकरानी को आवाज़ दी बेटा चाय पिला कितना समझा कर आई, थी पर सुनते ही नहीं कुछ हो जायेगा तो लोग मुझे ही बुरा भला कहेंगे, चाय का पहला घुट पिया ही था की फ़ोन बज उठा नौकरानी उठाया “मेडम आप से बात करनी है, किरण ने फ़ोन लेकर कहाँ अब क्या हुआ मेडम मैं सोनू बोल रहा हूँ बाक़ी लोग भी भाग गये अब हम चार ही बचे हैं हमें डर लग रहा यहाँ अकेले ये लोग भी चलें जायेगे तो मैं नहीं रह पाऊँगा, डरो मत यदि सब पलायन कर गये तो तुम चाहोगे तो मैं तुम्हें घर में, ले आऊगी यहाँ रहना घर का काम करना पगार मिलेगी, ठीक है मेडम तो अभी आकर ले लो मुझे मैं आपके घर पर रहूँगा सब काम करुगा, उन लोगों से बात कराओ सोनू ने कहाँ मेडम आप लोगों से बात करना चाहती, एक मज़दूर ने फ़ोन उठाया मेडम बात यह है की एक ट्रक की व्यवस्था हो गई है हमारे गाँव के सब लोग जा रहे है, तो हम तो अब रुकेंगे नहीं यहाँ मरने से अच्छा है अपने गाँव में मरे माँ बाप बीबी बच्चों के साथ तो रह लेंगे, जब सब ठीक हो जायेगा आप बुलायेगी तो आ जायेगे, नहीं तो वही रहेगा पेट के लिये गाँव से पलायन कर यहाँ आये, थे अब अपने बच्चों के लिये यहाँ से पलायन कर रहे हैं आप अब हमें उपदेश मत देना, हम कुछ सुनने के मूड में नहीं है, सब लोग चले गये है हम चार ही बचे हैं सोनू को समझाया हमारे साथ चल पर वो कहता है मैं मेडम की बात मानूँगा वो सही कह रही है तो आप इसका ख़्याल रखना, जयराम जी की, और सोनू को फ़ोन दे दिया, सोनू “मेडम“ ये लोग कपडे बांध कर अभी निकल रहे है मैं कहाँ जाऊँ कहीं नहीं मैं आ रही हूँ।
किरण ने चाय वैसे ही छोड़ी व कारख़ाने जाने के लिये गाड़ी निकाली, वो तो अच्छा है जो कारख़ाना घर के पास ही है वर्ना …. किरण कारख़ाने पंहूची तो सब कारीगर पलायन कर चुके थे सिर्फ सोनू रोते हुऐ बैठा था, सोनू के माँ बाप नहीं थे सौतली। माँ बहुत मारती थी इसलिये वो जाना नहीं चाहता नहीं तो वह भी पलायन कर गया होता ख़ैर किरण ने दिमाक को छटका और सोनू को बोली चलो कपडे ले लो और कारख़ाने को अच्छे से बंद करो और यह बता घर जाकर तो भागने की नहीं सोचेगा, नहीं तो अभी जा नहीं मालकिन मैंने सुबह न्युज देखी थी, बहार बहुत बुरा हाल है अब मैं कहीं नहीं जाऊँगा आपके पास रहूँगा, मुझे बेमौत नहीं मरना है, किरण ने आकाश की तरफ़ देख लम्बी सांस ले बोली शुक्र है सुबह की बातों का किसी को तो असर हुआ, मैंने एक की सुरक्षा तो कर ली सुकुन तो रहेगा …. मैंने एक इंसान को पलायन करने रोका ही नहीं उसका जीवन भी बचाया!

.

परिचय : डॉ. अलका पांडेय एक समाजसेविका के साथ-साथ एक लेखिका भी है, अलका जी का जन्म कानपुर के मंधना के रामनगर मे हुआ था
दादा पं श्यामसुंदर शुक्ल जी संस्कृत के परकांण विद्वान थे। और मंधना कालिदास मे संस्कृत पढ़ाते थे! पिता डां शिवदत्त शुक्ल इंदौर में कालेज मे प्रिंसिपल थे ! लेखन की प्रेरणा दादा व पिता से मिली आपने सैंकड़ों सम्मान प्राप्त किये हैं एवं कई संस्था के साथ विभिन्न पदों पर सक्रिय कार्य कर रही हैं… कई वषों से लेखन कार्य जारी रखते हुए कई साझा संकलनों व पत्रिकाओं में आपकी रचनाये प्रकाशित होती रहती हैं …


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak mnch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *