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पलायन

सरिता कटियार
लखनऊ उत्तर प्रदेश

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पेट की खातिर कमाने को अभी गये थे जो निर्धन
आज कोरोना ने मझधार में डाला दहल गये वो मन

दहलाया सारी दुनिया को हुये लाचार सभी जन जन
क्या करना वहाँ पर रहे के लौट जायेंगे अपने घर

हैं मजबूर काम के जरिये भूख से सारे रहे तरस
किया पलायन बिन गाड़ी और पैदल ही सब लिए निकल

सौ दो सौ चार सौ मीटर की दूरी को ना लाया ज़हन
दो-दो बच्चे कंधों पर और गठरी धरी दूजे के सर पर

तरस जो खाये वो फंस जाये ना खाने वाला निर्मम
महामारी का जाल बिछाया खुद के लिए खुद करो जतन

कई रोज लग जायेंगे तब पहुचते अपने घर
तब सारे सीएम ने सोचा भरो गाड़ी पहुचादो घर

सोचो तनिक छुआछूत की बीमारी लग गयी अगर
क्या घर में खुश रह पाओगे गर बीमार हुए जन जन

घबराओ ना विनती है हाथ जोड़कर सरिता की
वक्त पड़ा है आन ना हिम्मत टूटेगी लाचार बन

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परिचय :-  सरिता कटियार  लखनऊ उत्तर प्रदेश


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