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चेतना का अंकुरण

दिलीप कुमार पोरवाल (दीप)
जावरा म.प्र.

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आओ मिल बैठ कर करे विचार
कौन थे हम
क्या थे हम
क्या हो गए
क्यों हो गए
आओ मिल बैठ कर करे विचार
बीज कोई ऐसा बोए
कि जिसके अंकुरण से
हो जाए जन जन का उद्धार
आओ मिल बैठ कर करे विचार
करे अतीत की व्याख्या
करे वर्तमान का समाधान
और करे भविष्य का आकलन
आओ मिल बैठ कर करे विचार
करे कुछ ऐसा कि
कुमति छोड़ पाए सुमति
हो जाएं चहुं ओर शांति
और खोले प्रगति के द्वार
आओ मिल बैठ कर करे विचार
बीज कोई ऐसा बोए
नवयुग का हो आरम्भ
और प्राणी मात्र बने आशावान
आपस में हो भाई चारा
बना रहे विश्वास
और खत्म हो नफरत की दीवार
आओ मिल बैठ कर करे विचार
बीज कोई ऐसा बोए कि हो जाएं
राजनीति विदूर
धर्म युधिष्ठिर
और खांडवप्रस्थ
हो जाएं इंद्रप्रस्थ
दीप कोई ऐसा प्रज्जवलित करे
दूर हो जाए सारा तिमिर
और भर जाए
जन जन में ज्योतिर्गमय भाव
आओ मिल बैठ कर करे विचार
मोह माया सारी तजकर
कर्म और पराक्रम से
हासिल करे
विश्व गुरु का सम्मान
आओ मिल बैठ कर करे विचार
कि हो जाएं
उज्जवल भविष्य की चेतना का अंकुरण
और खुशहाली की अश्रुधारा से
हो जाएं धरा हरी भरी।

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परिचय :- दिलीप कुमार पोरवाल “दीप”
पिता :- श्री रामचन्द्र पोरवाल
माता :- श्रीमती कमला पोरवाल
निवासी :- जावरा म.प्र.
जन्म एवं जन्म स्थान :- ०१.०३.१९६२ जावरा
शिक्षा :- एम कॉम
व्यवसाय :- भारत संचार निगम लिमिटेड


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