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कर्मो का फल

संजय जैन
मुंबई

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नही भूल पाया हूँ में
जिन्होंने दगा दिया था।
मेरी हंसती जिंदगी में
जहर जिन्होंने घोला था।
कहर बनकर उनपर भी
टूटेगा मेरे हाय का साया।
और तड़पेगे वो भी
जैसे में तड़प रहा।।

जिंदगी का है हुसूल
जो तुमने औरों को दिया।
वही सब तुमको भी
आगे जाकर मिलेगा।
फिर तुमको याद आएंगे
अपने सारे पाप यहां।
और भोगोगे अपनी
करनी का पूरा फल।।

समय चक्र एक सा
कभी नही चलता है।
जो आज तेरा है
वो कल औरों का होगा।
यही संसार का नियम
विधाता ने बनाया है।
और स्वर्ग नरक का खेल
यही दिखाया जाता है।।

जो गम तुमने दिए थे
वो अब तुम्हे मिलेंगे।
और तेरे साथी ही
तुझ पर अब हंसेगे।
और ये सब देखकर तू
अपनी करनी पर रोएगा।
पर तेरी आंसू कोई भी
पूछने वाला नहीं होगा।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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