अंजू खरबंदा
दिल्ली
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हम पति पत्नी ने शुरू से ही आदत बनाई हुई है कि बच्चों को महीने मे दो बार बाहर डिनर के लिये लेकर जाते है। एक पंथ दो काज। इससे दो बाते होती है – पहली साथ बिताने के लिये समय मिलता है और दूसरा बच्चे बाहर घूमने के लिये यारों दोस्तों का साथ नही ढूंढते।
आर्डर देते समय ये निर्णय करने मे अक्सर समय लगता कि – “आज क्या मंगाया जाये!”
“इस भोजनालय की सूचि मे स्पेशल क्या है !”
पर बच्चे तो बच्चे है – “आज ये नही खाना, पिछली बार भी तो यही खाया था! आज कुछ और मंगाते हैं !”
कभी-कभी कोफ्त सी होने लगती व इंतजार भारी सा लगने लगता तो बच्चों को कहना पड़ता – “जल्दी निर्णय करो! देखो और लोग भी प्रतीक्षा मे खड़े हैं!”
बच्चों के साथ कही जाओ तो बहुत धैर्य रखना पड़ता है । हमें देख कर ही तो बच्चे सीखते है फिर हम ही जल्दी परेशान हो जायेगे तो उसका असर सीधा बच्चों पर पड़ेगा ही!
एक दिन सच मे ऐसा ही हुआ! जहां हम खाना खाने गये वहां स्वयं सेवा करना होती थी। पति और मुझे रवा मसाला डोसा पसंद है तो हमें ज्यादा सोचना नही पड़ता। बच्चे चाइनिज प्लेटर, मोमोस, सैंडविच, बर्गर मे से क्या मंगवाये – ये सोच रहे थे। काफी देर हो गई सोचते सोचते। अब थोड़ा गुस्सा सा आ ही जाता है कि – “इतना सा निर्णय लेने मे इतना वक़्त क्यूं लग रहा है।”
आप बच्चों को समय दे कि वे सही निर्णय ले पाये। आज वे निर्णय लेने की शाक्ति सीख लेंगे तो भविष्य मे उन्हें ही आसानी होगी तथा वे आत्मविश्वासी बन पायेगे।
दोस्तों ये बात आपको छोटी सी लग सकती है लेकिन इन छोटी छोटी बातो से ही बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। आपकी जरा सी सहनशक्ति, समझदारी व सकारात्मक सोच बच्चों के लिये बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकती है तथा उन्हें जीवन की सही दिशा प्रदान कर सकती है।
तभी तो कहा गया है बच्चा जीवन का पहला पाठ माता पिता से, दूसरा पाठ घर से और तीसरा पाठ समाज से सीखता है। अतः बच्चों के हमेशा प्रेमपूर्वक पेश आये और व्यावहारिकता का पाठ भी साथ साथ पढाते रहे ताकि बच्चे को उम्र के किसी भी पडाव पर आपकी जरुरत हो वह आपकी तरफ नकारात्मक भावना से नही बल्कि सकारात्मक भावना से देख पाये।
पिता का नाम – श्री ताराचंद भाटिया
जन्म दिनांक – ३१ अक्टूबर
निवासी – दिल्ली
शिक्षा – स्नातक (कला)
विधा – लघुकथा
व्यवसाय या नौकरी – अध्यापिका, लेखिका, रेडियो आर्टिस्ट
अन्य जानकारी – लघुकथा शोध केंद्र भोपाल की दिल्ली शाखा की संचालिका, “समय की दस्तक” साझा संग्रह में पाँच लघुकथाएं, “शुभारंभ” साझा काव्य संग्रह, “किसलय” साझा काव्य संग्रह, “साहित्यिक पत्रिका किस्सा कोताह, क्षितिज आदि में लघुकथाएं, सान्ध्य टाईम्स, साहित्य एक्सप्रेस, गोस्वामी एक्सप्रेस, व हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित अन्य ई पत्रिकाओं में लघुकथा व कविता प्रकाशित
रुचियां – साहित्य, पर्यटन, पाककला
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