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दोस्तों की महफ़िल

विकाश बैनीवाल
मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान)

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अरसों बाद आज सजी दोस्तों की महफ़िल,
मस्ती के गुबार फूटने लगे ख़ुश हुए दिल।

ग़म-ए-हयात मिटाने बिच की खीज़ मिटाने,
यार मेरे जो ख़फ़ा थे वो भी हुए शामिल।

ज़िंदगी की हर चीज़ मना सकते चुटकी में,
मगर रूठें अपने यार मनाने बड़े मुश्किल।

आई उसकी याद चार चाँद लगा दिए ग़मों ने,
इश्क़ की तर्ज़ छिड़ी तो भूल गए मंज़िल।

शेरो-शायरी की भरमार ग़ज़लों की हुज़ूम,
‘विकाश’ उलझे ख़ुशी की या ग़म की महफ़िल।

परिचय :- विकाश बैनीवाल
पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल
निवासी : गांव-मुन्सरी, तहसील-भादरा जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान)
शिक्षा : स्नातक पास, बी.एड जारी है
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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