अतुल भगत्या तम्बोली
सनावद (मध्य प्रदेश)
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किसी गाँव में दो घनिष्ठ मित्र रहते थे। एक का नाम जय दूसरे का धीरेन्द्र था । दोनों ही अपने काम को बखूबी करते थे। पूरे गाँव में दोनों के चर्चे थे। एक समय ऐसा आया जब दोनों अपनी शिक्षा के लिए साथ साथ शहर में रहने लगे। शहर में रहते हुए उन्हें मात्र कुछ महीने ही हुए थे कि धीरेन्द्र गलत संगत में पड़ गया। उसे कुछ गलत आदतों ने घेर लिया था। वह अपनी आदतों के कारण घर से पढ़ाई के नाम पर लाया हुआ पैसा अपनी गलत आदतों में खर्च कर देता था। जब इस बात की भनक जय को लगी तब उसने वीरेंद्र को समझाने की बहुत कोशिश की परन्तु जिन लतों ने धीरेन्द्र को घेर रखा था वो उसका पीछा छोड़ने का नाम नही ले रही थी। अब तो धीरेन्द्र जय के सामने कभी सिगरेट तो कभी शराब पीकर आने लगा, नौबत यहाँ तक आ पहुँची कि अब वह जय की जेब से पैसे भी चुराने लगा। जय ने लाख कोशिशें कर ली मगर धीरेन्द्र सुधरने को तैयार न था। उसने योजना बनाई की इसे कैसे सुधारा जाय? जय ने उससे अलग रहने को कहा। मगर धीरेन्द्र उसका साथ छोड़ने को तैयार नही था क्योंकि वह जय की अच्छाइयों का बड़ा सम्मान करता था। जय भी इस बात से अवगत था कि वह उसका साथ नही छोड़ पायेगा लेकिन उसे सुधारने का उसके पास और कोई चारा न था। जय धीरेन्द्र से दूर रहने लगा उसे उसकी गलतियों का अहसाह करवाने के लिए इससे अच्छा कोई उपाय नही लगा। कुछ दिनों दूर रहकर धीरेन्द्र को अजीब लगने लगा और जिस गलत संगत में वह खुशी महसूस करता था वही लोग उससे गाली गलौच व मारपीट करने लगे। पैसा नही होने के कारण उसे अपने से दूर करने लगे। तब धीरेन्द्र को समझ में आया कि गलत संगत के लोग तभी तक साथ देते है जब तक जैब में पैसा हो और दोस्त यदि सच्चा हो तो गलत व्यक्ति को भी सही मार्ग पर ले आता है। साथ ही गलत संगत व्यक्ति को सिर्फ विचलित करने के कुछ भी नही करती। उसने जय के पास जाकर अपनी गलती के लिए माफी माँगी। और कहा कि वह अपने दोस्त से दूर कभी नहीं जाएगा। उसे ये बात ज्ञात हो चुकी थी कि एक सच्चा मित्र कैसा भी हो अपने मित्र को सही राह पर ले ही आता है। वे वापस पहले की तरह अपने कार्य को समर्पित रहने लगे। आज जय पुलिस में एक बड़ा अधिकारी है और धीरेन्द्र एक व्यवसायी है जिसका व्यवसाय आज उच्च स्तर पर पहुँच चुका है। आज भी गाँव में लोग दोनों के नाम की मिसालें देते है।
परिचय :- अतुल भगत्या तम्बोली
निवासी : सनावद, जिला खरगोन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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