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दोस्त की पहचान

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केशी गुप्ता
(दिल्ली)

राम और श्याम दोनो बहुत ही गहरे मित्र थे .  उनकी मित्रता बचपन की थी, साथ खेले और साथ ही बड़े हुए . बारवीं की  परिक्षा खत्म हो चुकी थी .  विध्यालय की शिक्षा के पश्चात अब आगे विश्व विध्यालय में जाने का समय था .  अन्य विधायर्थियों की भातिं ये दोनों मित्र भी इसी चिंता में थे कि आगे क्या और कैसे किया जाए  .
राम जहां  पढ़ाई में ठीक सा था तो श्याम सदैव कक्षा में अवल  स्थान प्राप्त करता था .   दोनो के परिवारों में रहन -सहन  की भी अन्तर था .  परन्तु इन सब अन्तर के बावजूद दोनों में अटूट मित्रता रही .  विध्यालय के परिणीम स्वरूप दोनों को अलग अलग विश्व विध्यालय में दाखिला मिला .  वह दोनो ही अपनी अपनी दिन चर्या और पढ़ाई में व्यस्त हो गए . अब वह कभी-कभार ही मिल पाते और  पिछले समय को याद करते .
फिर एक दिन राम ने अपने जन्मदिन की पार्टि रखी और अपने सभी नए पूराने दोस्तो ते अमंत्रित किया . श्याम को तो आना ही था .  राम के विश्व विध्यालय के दोस्त उसकी तरह उच्च परिवारो के थे . उन्हे देख राम को कुछ हीनता का भाव आने लगा, उसे लगा जैसे राम की दूनिया उससे जूदा है .  पार्टि के शोर शराबे में वह खुद को अकेला महसूस कर रहा था .   सबसे मिलने के पश्चात वह एक कोने में जा कर बैठ गया . कुछ ही समय में राम उसके पास बैठते हुए बोला, वक्त और हालात चाहे कितना ही बदल हो मगर जो वक्त मेरा और तुम्हारा था, वही असली खजाना है जिंदगी का जो खुशी और सकुन  मुझे तुम्हारे साथ होने से मिलता है, वह किसी ओर के होने से नही मिलता .
जरूरी होता है दोस्त और दोस्ती के महत्व को समझना .  सुनकर श्याम की आंखो से पानी बहने लगा .  उसे अपने विचारो पर शर्म महसूस हो रही थी कि उसने अपने दोस्त और दोस्ती को कंही समझा नही .   आगे बड़ कर उसने राम को गले लगाते हुए जन्मदिन की शुभकामनाएं दी और दोनो दोस्त पार्टि की रोनक में घुल गए

लेखक परिचय :- केशी गुप्ता लेखिका, समाज सेविका
निवास – द्बारका, दिल्ली


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