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भूली बिसरी यादें

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)

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जब हम सब शाला जाते थे,
तब पानी बाबा भी आते थे।

वो जुलाई की पहली तारीख,
तब झूम-झूम होती बारिश।
पानी बाबा आया रे और
ककड़ी भुट्टा फिर लाया रे।
छप-छप चलते जाते थे,
हम जोर-जोर से गाते थे।
तब पानी बाबा आते थे।
जब हम सब शाला जाते थे।

वो नई-नई कॉपी किताब,
वो नया-नया होता लिबाज़।
वो प्रार्थना सभा की पंक्ति में,
वंदेमातरम का छिड़ता राग।
फिर निश्चिन्त हो जाते थे,
हम गा-गाकर इतराते थे।
तब पानी बाबा आते थे।
जब हम सब शाला जाते थे।

रोशनी शिक्षा की आ जाती,
वह गाँव-गाँव मे छा जाती।
खुली दीवारों सी पुस्तक पर
फिर सुंदर चित्र सजाते थे।
जब कागज की नाव बनकर,
पोखर में चला कर आते थे।
तब पानी बाबा आते थे।
जब हम सब शाला जाते थे।

ना वो सावन के झूले न्यारे,
न कजरी-तान, न अमिया-डारे।
बदल गए परिवेश, पढ़ाई से,
अब बदल गई सब शालाएँ।
खेल-खेल में गुरुजी पढ़ते थे,
हम परिणाम ही कुशल पाते थे।
तब पानी बाबा आते थे।
जब हम सब शाला जाते थे।

परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड ,बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)


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