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माफ़ी

साक्षी उपाध्याय
इन्दौर (मध्य प्रदेश)

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क्या संभालेगा ये
बेदर्द ज़माना तुम्हें,
जो जताता है
झूठी मुहब्बत तुम्हें,
अच्छा हुआ जो तुमने
हमसे नफरत की,
हम देते हैं बेपनाह नफरत
करने कि इजाज़त तुम्हें।
जब तुम्हारे खिलाफ
होगा ये ज़माना,
तो तुम लौट के
आ पाओगे क्याॽ
एक दिन तुमने
हमसे दगा किया था,
अपना चेहरा भी हमें
दिखा पाओगे क्याॽ
अगर तुम्हें हमारी
ज़रा भी परवाह है,
तो सुनो सुनाते हैं
सच्ची बात तुम्हें
कई बार डुबा देते हैं तुम्हारे
दिल के जज़्बात तुम्हें।
अगर तुम अपनी सारी
खताओं को कुबूल करते हो,
तो हम देते हैं माफ़ी,
तोहफा-ए-खैरात तुम्हें ।।..

परिचय :- साक्षी उपाध्याय
आयु : १५ वर्ष
निवास : इन्दौर (मध्य प्रदेश)
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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