होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा
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जीवन में मिले हार जीत,
बस दोनों से कर ले प्रीत,
जिंदगी का कहते हैं गीत,
दुख का बना अपना मीत।
गीता में बस कहते कृष्ण,
हार जीत को सम समझ,
मेहनत से बस कर काम,
होगा एक दिन तेरा नाम।
हार का गले हार पहनो,
जीत का कर लेना ध्यान,
हार में कभी रोना नहीं हैं,
कहाता है गीता का ज्ञान।
हार-जीत सदा भूलकर,
बस दे जगत को पैगाम,
प्रीत रीत सबसे बड़ी है,
बिगड़े बनाती सारे काम।
हार देखकर जो रोता है,
मिलता उसे नहीं किनारा,
जीत देखकर सम रहता,
प्रभु को लगता वो प्यारा।
हार जीत को भूलकर जो,
रखता है जो लक्ष्य ध्यान,
वहीं मंजिल को पा जाता,
कहलाता है वो जग महान।
हार से मिलती एक सबक,
जीत पर क्यों जन इतराये,
हार में जो जन मुस्कुराता,
वहीं एक दिन जग हँसाये।
हारे नहीं जो जन हारकर,
जीते ना जो जन जीतकर,
काम से काम रखता है जो,
बस उस नर से प्रीत कर।
हार जीत को भूलजा अब,
भर लेना ऊंची एक उड़ान,
हारकर जो कभी नहीं बैठे,
वहीं तराना है वहीं है गान।
हार के मायने जिंदगी नहीं,
हारता कभी भी एक इंसान,
जीत पर जो हँसता रहता है
एक दिन सहता वो अपमान।
हार जीत को भूलकर कभी,
बढ़ता ही जाये मंजिल ओर,
पीछे नहीं धकेल सका उसे,
लाख लगाया जनता ने जोर।
कामयाबी का सेहरा बांधो,
तब लो हँसो दिन रात तुम,
सोच समझ ले आगे बढ़ ले,
रहना कभी न तुम गुमसुम।
परिचय :- होशियार सिंह यादव
जन्म : कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा
पिता : स्व. श्री जयनारायण (कवि) एवं गोपालक देहांत १९८९
मां : स्व. मिश्री देवी गृहणि देहांत २०१६
निवासी : महेंद्रगढ़ हरियाणा
शिक्षा : पीएच. डी. (जारी) एम. एससी (बायो एवं आईटी), एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी एवं राजनीति शास्त्र), एमसीए, एम. एड., पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर, पी जी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एवं मास कम्यूनिकेशन, पी जी डिप्लोमा इन गांधियन स्टडिज, गोल्ड मेडलिस्ट पंजाब वि.वि.।
रचनाएं : अब तक विभिन्न विषयों पर २४ पुस्तकें प्रकाशित। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित, विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में कहानी, लेख, मुक्तक, क्षणिकाएं, प्रेरक प्रसंग, कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।
हरियाणा साहित्य अकादमी से अनुमोदित पुस्तकों में : आवाज, बाल कहानियां, उपयोगी पेड़ पौधे, शिक्षा एक गहना
व्यवसाय : लेखक, पत्रकार एवं शिक्षण कार्य में श्रेष्ठता।
सम्मान : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा कहानी लेखन में प्रथम पुरस्कार सहित पांच दर्जन सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महेंद्रगढ़ न्यायाधीश द्वारा रजत पदक से सम्मानित। अरुंधती वशिष्ठ अनुंसधान पीठ द्वारा देशभर से आयोजित निबंध लेखन में एक्सीलेंस अवार्ड। हरियाणा के राज्यपाल से पुरस्कृत। तीन शोध भी प्रकाशित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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