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प्रकृति की शक्ति

सीमा रानी मिश्रा
हिसार, (हरियाणा)

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दिल में कब से यही शोर है मचा हुआ,
यह मानव-जाति किस ओर जा रहा?
अपने ही हाथों खुद को बर्बाद कर रहा,
गलती से खुद को खुदा समझ रहा।
प्रकृति को दूषित करने पर तुला हुआ,
शायद उस अदृश्य शक्ति को है़ भूला हुआ।
पर जब भी मानव संतुलन बिगाड़ता है़,
प्रकृति किसी न किसी रूप में सुधार लेती है़।
हम उसका विनाश करते हैं जब भी,
तो वो भी हमारी जान लेती है़।
पशुओं के साथ पशु मत बनो,
खाने के लिए अन्न-फल-सब्जियाँ हैं,
उनसे ही अपना पोषण कर लो।
जीने दो सबको और खुद भी जियो,
कुदरत के हर संकेत को अब तो समझो।
मानव हो मानवता के राह पर ही चलो,
गलतियों से सीखो, जिंदगी हँस कर जी लो।

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परिचय : सीमा रानी मिश्रा
पति : डाॅ. संतोष कुमार मिश्रा
पता : हिसार, (हरियाणा)
पद : शिक्षिका


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