रवि यादव
कोटा (राजस्थान)
********************
जहाँ तिरंगे के खातिर वो
सूली पर, चढ़ जाते हैं,
जहाँ तिरंगे की खातिर,
हंसते-हंसते मर जाते हैं,
जहाँ तिरंगे के खातिर,
जीवन अर्पण कर जाते है,
जहां तिरंगे की खातिर
भारत, दर्पण बन जाते हैं,
उसी तिरंगे का भारत में,
ऐसा हालात बना देखो,
कहीं जलाकर फेंका है,
ऐसा आघात करा दे,
रोते होंगे राजगुरु,
सुखदेव भगतसिंह आंखों से,
जिनके लिए दिया जीवन,
जलते देखा उन हाथों से,
भगत सिंह कहते है…….
हमने उसके लिए सदा,
माँ-बाप को पीछे छोड़ा है,
इसकी आजादी के हित,
अपनों से चेहरा मोड़ा है,
भूखे प्यासे रहकर भी,
शोणित से नित श्रंगार किया,
खुद हुए चुपचाप मगर,
अपने हिस्से का प्यार दिया,
परिवार हमारे भी थे,
गर सोच बनाते जीवन में,
छोड़ के आजादी सपना,
गर मौज बढ़ाते जीवन में,
गुलाम दासता जीते फिर,
ऐसा आबाद नहीं होता,
गर सोच जो ऐसी रखते तो,
भारत आजाद नही होता।।
परिचय – रवि यादव
निवासी : कोटा राजस्थान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻