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कोहरे की धुँध

रंजना फतेपुरकर
इंदौर (म.प्र.)

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कोहरे की धुँध में
तुम्हारे अहसास नज़र आते हैं
बदलते मौसम के
खूबसूरत अंदाज़ नज़र आते हैं
जरूरी नहीं हर बात
होंठों से कही जाए
झुकी पलकों में भी तो
जज़बात नज़र आते हैं

सांझ के सुनहरे रंग
गुलाबों पर बिखरे नज़र आते हैं
किनारे लहरों को ढूंढते नज़र आते हैं
ज़रूरी नहीं रोज़ रोज़
आकर हमसे मिलो
हम तो खुश हो लेते हैं
जब आप हमारे
ख्वाबों में नज़र आते हैं

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परिचय :-
नाम : रंजना फतेपुरकर
शिक्षा : एम ए हिंदी साहित्य
जन्म : २९ दिसंबर
निवास : इंदौर (म.प्र.)
प्रकाशित पुस्तकें ११
हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० सम्मान सहित ४७ सम्मान
पुरस्कार ३५
दूरदर्शन, आकाशवाणी इंदौर, चायना रेडियो, बीजिंग से रचनाएं प्रसारित
देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएं प्रकाशित
अध्यक्ष रंजन कलश, इंदौर 
पूर्व उपाध्यक्ष वामा साहित्य मंच, इंदौर


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