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वन्दना पुणतांबेकर (इंदौर)
फूल खिलता है,मुस्कुराता है।
बहारो संग झूम-झूम जाता है।
कभी जन्मदिन पर खुशियॉ मनाता है।
कभी गमो में गमगीन हो जाता है।
अर्थी पर जब चढ़ता है,आँसू बहता है।
प्रभु के चरणों मे धन्य हो जाता है।
नेताओ के गले में घुटन से दब जाता है।
महापुरुषों के गले मे पड़ इठलाता है।
समयनुसार वह भी भाग्यनुसार चलता है।
किस्मत भी फूलों की इंसा की तरह होती है।
इंसा जरा सी तकलीफों मे घबराता है।
फूल काँटो के साथ जीवन।
बिताकर समय परिस्थितियों अनुरूप ढल जाता है।
फूलों से सीखो जीवन जीना।
हर परिस्थितियों में खिलकर मुस्कुराना ।
हर फूलों का मुकद्दर अलग होता है।
फिर भी समयनुसार जीवन मे हर
परीस्थिति में ढल जाना फूल हमे सिखाता है।
लेखिका परिचय :- नाम : वन्दना पुणतांबेकर
जन्म तिथि : ५.९.१९७०
लेखन विधा : लघुकथा, कहानियां, कविताएं, हायकू कविताएं, लेख,
शिक्षा : एम .ए फैशन डिजाइनिंग, आई म्यूज सितार,
प्रकाशित रचनाये : कहानियां:- बिमला बुआ, ढलती शाम, प्रायचित्य, साहस की आँधी, देवदूत, किताब, भरोसा, विवशता, सलाम, पसीने की बूंद,
कविताएं :- वो सूखी टहनियाँ, शिक्षा, स्वार्थ सर्वोपरि, अमावस की रात, हायकू कविताएं राष्ट्र, बेटी, सावन, आदि।
प्रकाशन : भाषा सहोदरी द्वारा सांझा कहानी संकलन एवं लघुकथा संकलन
सम्मान : “भाषा सहोदरी” दिल्ली द्वारा
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