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पहली बारिश

मारोती गंगासागरे
नांदेड (महाराष्ट्र)

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                                     जून माह प्रारंभ हो चूँका था, खेत खलियानों की सभी धरा तप-तपकर व्याकुल सी हो गई था। सूरज की अग्नि में जल-जलकर अवस्था विरहणी सी हो गई थी, वह अपने दिलदार का इंतजार कर रही थी, याने की बदल कब आएंगे वर्षा के साथ मिलने और मेरी यह तपन कब मिटाएंगे इसी सोच मे धरा जी रही थी।
मृग नक्षत्र भी निकल भी निकल ने वाला भी हैं। ऐसा पता चलते ही सभी किसानों में अपनी खेती भी अच्छी जोतकर रखी थी और कुछ किसानों की बाकी थी। इसी दौर में शहर में पढ़ाई के लिए गया हुआँ राज गाँव लौट आया था। बारिश न होनेक कारण धूप भी हँस-हँस कर चमक रही थी इसी बीच राज खेत मे घूमने गया था। दोपहर का समय ढल चूँका था फिर भी सूरज की ज्वाला कम न हुई थी। इसी बीच हवा ने भी छुटी ली थी। शहर से आया हुआँ राज पसिने से तरबतर हो गया था। मैं कई करूँ यह सोचने लगा और धूप का प्रतिरोध करते-करते घर की ओर निकला तभी धूप और तेज हो गई ऊपर देखा तो काले-काले मेघ नभ में जम रहे थे मानो वह एक संगोष्ठी का आयोजन कर रहे हो और धूप का यह दोपहर चार के बाद ऐसा चमकना बारिश आने के संकेत होते हैं। ऐसा राज को लग ही रहाँ था। इसी स्थिति के दौरान हवा भी आने लगी, और धूप कम होने लगी तभी बदलो का भी रंग बदल चूँका सुखी-सुखी पेड़ो की टहनियाँ भी झूल रही थी और पक्षी भी अपनी-अपनी मधूर आवाज सुना रहे थे तो राज को भी गर्मी से राहत मिलने लगी।
कुछ समय ऐसा ही हाल रहाँ और मेघ गर्जना होने लगी यह सुनकर कही छिपा हुआँ मोर भी जोर के साथ आवाज लगाने लगा था। सौ प्रतिशत बारिश होने वाली हैं यह राज को पता चला तो वह घर की तरफ निकल में ही वाला था। तब एकदम से अँधेरा आया और बिजलियाँ चमक ने लगी बारिश की छोटी- छोटी बूँदे आ रही थी। हवा ने भी जोर लिया मिठ्ठी के कण भी हवा के साथ आसमान छूँ रहें थे। राज भी घर की ओर कदम दौडरहाँ था। तभी बारिश की बूँदे तेज हो गई और हवा भी …
धीरे-धीरे राज भीगने लगा था हवा भी उसे शीतल लगने लगी थी और बारिश की बूंदों का स्पर्श उसके अंग को जैसे माशूका की छुवन हो ऐसा महेसुस हो रहाँ था। और सूरज की अग्नि में तपी हुई धरा भी शीतल होकर बदलो का जल रूपी मिलने भीतर सामने लगी थी यह इस साल की पहली बारिश होने के कारण मिठ्ठी सुगंध भी आ रहाँ थी। राज पूरी तरह से भीग चूँका और उसे हवा सताने लगी थी तभी मिठ्ठी का सुगंध उसकी रोम-रोम में उत्साह भरने लगा था। उसे उसकी प्रेमिका याद आने लगी… वह दूर होकर भी उसकी सादगी महसुस करने लगा था। ऐसा राज को पहेली बार महसुस हो रहाँ था।
और कहने लगा…

आज यूँ भीग मैं हूँ पहेली बार
अकेला होकर भी महेसुस होता हैं
मुझे तेरा साथ…
इस मौहल में तू साथ होती
ए बारिश की सादगी और अच्छी लगती

परिचय :- मारोती गंगासागरे
निवासी – नांदेड महाराष्ट्र

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