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माँ को खोजता हूँ

धैर्यशील येवले
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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जब मैं निराशा से
भर जाता हूँ
माँ को खोजता हूँ
माँ, माँ
तुम कहा हो, माँ
मैं माँ को चहु और
खोजते,
माँ
कहि नही पा कर
हताश हो
घर के एक कोने में
चुपचाप बैठ जाता हूँ।

अपने ही भीतर से
मुझे एक स्नेह भरी आवाज़
सुनाई देती है,
क्यो उदास हो रहे हो
मैं सदा ही तुम्हारे साथ हूँ
तुम्हारे भीतर ही हूँ मैं
मैं चौकन्ना हो जाता हूँ।

खुशी से बुदबुदाता
माँ माँ
क्या तुम सचमुच मेरे
भीतर हो
फिर वही स्नेहसिक्त
आवाज आती है
हा बेटे हा
मैं सचमुच
तुम्हारे भीतर हूँ
मैं खुशी से झूम जाता हूँ।

मुझे फिर सुनाई देता है
जब तुम प्रेम व स्नेह से
सदव्यवहार करते हो
मैं ही तो होती हूँ
जब तुम्हारा ह्रदय
परपीड़ा से भर जाता है
मैं ही तो होती हूँ

तुम दुसरो की चिंता कर
उन्हें मदद करते हो
वो चिंता वो मदद
मैं ही तो होती हूँ,
प्रेम व दया से भर
जब तुम अश्रु बहाते हो
तुम्हारे वो अश्रु
मैं ही तो होती हूँ।

तुम अपनो की
खुशहाली के लिए
जो श्वेद बहाते हो
उन श्वेद कणों में
मैं ही तो होती हूँ
जब तुम परोपकार
व करुणा से भर उठते हो
मैं ही तो होती हूँ।

तुम ,तुम नही हो
तुम मेरे ही प्रतिरूप हो
तुम्हारे सद्कर्मो में
जीवंत
मैं ही तो होती हूँ
मैं कहि गई नही
तुम्हारे भीतर व आसपास ही हूँ

मैं चैतन्य हो जाता हूँ
तभी आवाज आती है
बाबा ,चाय
सामने बिटिया
चाय का प्याला लिए
मंद मंद मुस्कुरा रही है,
मैं अलौकिक आनंद से
भर जाता हूँ।

परिचय :- धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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