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जीवन में रंग भर जाए

अशोक पटेल “आशु”
धमतरी (छत्तीसगढ़)
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मैं तेरे प्यार में रंग जाऊं
होली के रंगों की तरह
मेरे जीवन में बहार आ जाए
वसन्त के ऋतु की तरह।

मैं तेरा हमसफर बन जाऊँ
बागों के बागबान की तरह
मेरा जीवन भी महक जाए
फूलों के खुशबू की तरह।

मैं तेरा सिंदूरी रंग बन जाऊँ
पलास के फूलों की तरह
मेरे जीवन मे रंग भर जाए
रंगीले फागुन की तरह।

मैं तेरा संगीत बन जाऊँ
फागों के सरगम की तरह
मेरा मन-मयूरा झूम जाए
बांवरा भ्रमरों की तरह।

मैं तेरा भ्रमर बन जाऊँ
फूलों के दीवानों की तरह
ये तनमन मदहोश हो जाए
मधु के पीने वालों की तरह।

मैं तेरा प्रेम दूत बन जाऊँ
वसन्त के कोयल की तरह
मेरे जीवन में मदहोशी आए
अमराई के बौरों की तरह।

परिचय :अशोक पटेल “आशु”
निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़)
सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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