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नारी उत्पीड़न

रवि कुमार
बोकारो, (झारखण्ड)

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रो रही हूँ सिसक-सिसक्कर
ना पोंछता कोई आँसु है,
आँसु की नदियाँ बह चली
रोकना भी अब बेकाबू है।

नैन निहारे ताक रही है
खड़ी घर मे चौखट सहारे,
क्यूं होता हे नारी उत्पीड़न?
सोंच रही हे नैन सुलाये।

माँ चाहिए बहन चाहिए
चाहिए प्यारी-सी पत्नी।
फिर क्यूं गर्भपात कराते हो?
जब गर्भ में बेठी थी बेटी।

इनको भी अधिकार चाहिए
समाज से थोड़ा प्यार चाहिए,
माँ की ममता- बहन का प्यार
नारी से है घर संसार।

परिचय : रवि कुमार
निवासी – नावाड़ीह, बोकारो, (झारखण्ड)
घोषणा पत्र : यह प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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