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मोहब्बत हो गई

संजय जैन
मुंबई

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खुद एक चांद हो तो
क्यों पूर्णिमा इंतजार करे।
और मोहब्बत का इसी रात में
होकर मदहोश हम आंनद ले।।

तुम जैसे दोस्त से
यदि मोहब्बत हो जाये।
तो हमें सीधी सीधी
जन्नत मिल जाये।।

डूब चुका था
प्यार के सागर में,
और नश नश में
मोहब्बत भर गया था।
क्यों बहार निकाला
मुझे इस सागर से..?
इस प्रश्न का उत्तर
अब तुमको ही देना है।।

गुजारिश है तुमसे आज
दिलमें थोड़ी सी जगह दे दो।
और अपनी गर्म सांसो से
मुझे फिरसे जीवन दे दो।।

आज दिलको मत रोकना
हजूर दिलसे मिलने को।
क्योंकि ये पहले ही व्याकुल था
तुम्हारे दिलमें डूबने को।।

इतने सुंदर हो तुम की
देखकर दर्पण भी शर्मा रहा है।
मेरा दिल भी तो आईना है
जो परछाई मुझे दिखा रहा।।

इसलिए मेरा दिल आज
तुम्हारे दिलमें शामाया है।
जो धड़कनों को मेरी
मोहब्बत करने को बुला रहा।।

कितनी हसीन रात है
जो हमको बुला रही है।
क्योंकि दो दो चांद जो
एक साथ आज निकले है।।

तुम्हारे हर शब्दो को अब तक
मैंने दिलमें सजाकर रखे है।
तभी तो मोहब्बत के चिराग
अभी भी जल रहे है।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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