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प्रेम का एहसास

संध्या नेमा
बालाघाट (मध्य प्रदेश)
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मिला तू मुझे उस पल जब मुझे
प्रेम के अक्षर का ज्ञान ही नहीं था

सिखा दिया तूने मुझे प्यार करना
जिसे मैंने कभी महसूस तक नहीं किया

जताना तो तू मुझे बहुत कुछ चाहता था
पर जताना सका छोड़ दिया तूने
मुझे क्योंकि मुझे से प्रेम करना तो
तेरी सबसे बड़ी गलती थी

मुझे प्रेम का मोल ही नहीं था
छोड़ चला गया तू मुझे
तेरे जीवन में कोई गम नहीं था

तूने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया
तेरे से होगी थी मोहब्बत मुझे
फिर भी मैं इस प्रेम को
नहीं कर पाई स्वीकार

परिचय : संध्या नेमा
निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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