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मौत का जो ख़ौफ़

निज़ाम फतेहपुरी
मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)

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ग़ज़ल – २१२२ २१२२ २१२२ २१२
अरकान – फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन

हर तरफ़ ये मौत का जो ख़ौफ़ है छाया यहाँ।
ऐसा लगता है ख़ुदा नाराज़ है भाया यहाँ।।

तेरा मुजरिम हूँ मगर अब माफ करदे ऐ ख़ुदा।
ज़िंदगी में जीते जी धोका बहुत खाया यहाँ।।

नाज़ था हमको बहुत विज्ञान पर अपने मगर।
चाँद पर जाकर भी मरने से न बच पाया यहाँ।।

कोई ऐसा है नहीं जो बच सके इस खेल से।
मौत का सबको मज़ा चखना है जो आया यहाँ।।

तेरा जो था छोड़ कर वो भी चला तुझको गया।
रोता क्यों है अब तो खाली रह गई काया यहाँ।।

जो नहीं डरते थे दुनिया मे किसी से भी कभी।
आज अपना डर रहे वो देख कर साया यहाँ।।

इस जहाँ का है निज़ाम आया है जो वो जाएगा।
तेरा मेरा कुछ नहीं झूठी है सब माया यहाँ।।

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परिचय :- निज़ाम फतेहपुरी
निवासी : मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित हैं


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