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प्रियतम

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भारती कुमारी (बिहार)

हो गयी अग्नि परीक्षा,
सम्मान कर लो आत्मा की।
व्यथा ह्रदय की सुन लो,
बस वाणी में अमृत घोलो।
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तेरी मधुर प्रेम की प्यासी,
सम्मान कर लो अनुनय प्रेम की।
खिलकर मुरझाना पसंद है,
बस अपमान की व्यथा में ना धकेलो।
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गर्व मैं करूँ तपस्वीनी-सी,
ध्यान मैं तेरा धरूँ मनस्वीनी-सी।
पहचान हो जगत में दीपशिखा-सी,
बस प्रियतम की चरणामृत पान करूँ।
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लेखक परिचय :-  भारती कुमारी
निवासी – मोतिहारी , बिहार


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