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पिता

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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पिता का
दाहसंस्कार कर
घर के सामने
खड़े होकर
अपने पिता को
पुकारने की प्रथा
जो दाहसंस्कार में
सम्मिलित होकर
बोल रहे थे कि
राम नाम सत्य है
उन्हें हाथ जोड़कर
विदा करने की विनती

भर जाती आँखों में पानी
वो पानी बढ जाता
गला रुँध जाता, तब
जब तस्वीर पर चढ़ी हो माला
और सामने जल रहा हो दीपक

बचपन की स्मृतियाँ
संग पिता आ जाती है
मस्तिष्क पटल पर
जो काम पिता कर लेते थे
वो लोगो से पूछकर करना पड़ता
होंसला अफजाई
और परीक्षा में पास होने पर
पीठ थपथपाई भी गुम सी गई
अब में पास हुआ किंतु
शाबासी की पीठ सूनी सी है
और त्यौहार भी मुँह मोड़ चुके
और रौशनी रास्ता भूल गई
पकवान और नए कपडे
कैद हो गए पेटियों में

इंतजार है श्राद पक्ष का
पिता आएंगे पूर्वजो के संग
धरती पर अपने लोगो से मिलने
जब श्राद में पूजन तर्पण
और उन्हें याद करेंगे जब हम
क्योंकि पिता जो थे वृक्ष की तरह
पक्षियों का तो वे आसरा
हमारे भी सहारा थे
मगर आज हम है बेसहारा।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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