Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

परिवार

पवन मोहनलाल रायकवार
खंडवा (म .प्र.)

********************

अनमोल है डगर, अनमोल है परिवेश,
थाम ले अपनो का हाथ जिसे कहते है परिवार का द्वार।

यही है स्वर्ग, यही है अमृत जीवन का मर्म,
जो बांधे रखता है एक डोर में जीवन की भौर।

देता यह छाया, हर लेता सबके दुःख,
रहती इसमें आशा, दूर हो जाती निराशा।

जैसे पेड़ की छाया, जैसे शीतल हवा,
रखता सबका ध्यान, जैसे नीर और गगन।

है जीवन का अंग, जीवन का सार,
मन की आशा, उद्देश्य की अभिलाषा।

रक्षक है करते दुखों का अंत,
जिसे कहते है परिवार, है एक ऐसा वंश।

अम्बर जैसी विशालता, धरती जैसी विनम्रता,
जैसे बंधी हो एक डोर, जिसे कहते है परिवार व।

.

परिचय : पवन मोहनलाल रायकवार
निवासी : खंडवा (म.प्र.)


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak mnch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *