Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

फागुन बसंती

रागिनी सिंह परिहार
रीवा म.प्र.

********************

बसंती बहारो में,
फागुन के महीन,
अब लौट भी आओ तुम,
होली के फुहरो में….

इतने सारे रंग पहले नहीं देखे,
जब होली आयी तोरंगो के रंग देखे
अब लौट भी आओ तुम,
होली के फुहरो में….

ब्रज की गलियो मे,
गोकुल नगारियो में,
निधिवन में खेलेगे,मोहन संग होली
अब लौट भी आओ तुम
होली के फुहारो में….

राधा संग खेलेगे,
ललिता संग खेलेगे,
गोपियां संग खेले, वृंदावन में होली
अब लौट भी आओ तुम
होली के फुहारो में….

मीरा की निराशा मैं,
पपिहे की तरह टेरु,
बन-बन डोलूं मैं, हर सास तुझे टेरु
अब आ जाओ मोहन
फागुन के महीन में।

बसंती बहारो में,
फागुन के महीन में,
अब लौटे भी आओ तुम
होली के फुहारो में….

.

परिचय :- रागिनी सिंह परिहार
जन्मतिथि : १ जुलाई १९९१
पिता : रमाकंत सिंह
माता : ऊषा सिंह
पति : सचिन देव सिंह
शिक्षा : एम.ए हिन्दी साहित्य, डीएड शिक्षाशात्र, पी.जी.डी.सी.ए. कंप्यूटर, एम फील हिन्दी साहित्य, पी.एचडी अध्ययनरत


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *