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रिश्तों को लगी नजर

डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
नागपुर (महाराष्ट्र)
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बड़े आराम की थी रिश्तों भरी जिंदगी
लग गयी हैं अब रिश्तों को भी नजर।
किसने की ये हिमाकत दूर करने की
अपनों से ही अपनों ने फेर ली नजर।

हर कोई निश्चंत था संबंधों को लेकर
आनाजाना भी सरल था बैखौफ होकर
मस्ती में मस्त थे सब खुशियां थी भरपूर
कोरोना ने लील लिया बनकर एक नासूर।

हवा कुछ ऐसी चली दुनिया बदल गई
मुंह तो ढक लिया पर नजरें बदल गई
पास पास थे हम जितने अब दूर हो गये
कुछ बोलने के लिए मुंह से मजबूर हो गये ।

हर कोई पूछ रहा हैं कब तक रहेगें ऐसे
सरकारें भी मौन हैं जो जी रहा हैं जैसे
बारबार के लाकडाउन ने कमर तोड़ दी
उम्मीदों की महफिल ने आशाऐं छोड़ दी

जब भी जरा सी उम्मीद नजर आती हैं
दूर से फिर गम की यह खबर आती हैं।
चला गया रिश्तों का एक रिश्ता भी हमसे
अब कोरोना के डर में हर रात गुजर जाती हैं।

सुबह कोई अखबार हमें फिर डरा देता हैं।
चैनल भी कोरोना का रोना दिखा देता हैं।
पर कोई खुशी की अब कहीं बातें नहीं हैं करता।
हर घर बस उस खौफ की सजा को हैं सहता।
सब यूं ही कहते हैं कि चंद दिनों की ही बात हैं।
गुजर जाएगा ये कारवां भी फिर तारों भरी रात हैं।

बड़े, बुढें, युवा सब बच्चों ने फिर उम्मीद नई जताई हैं।
जीने के लिए वैक्सीन लेने की सरकार ने गुहार लगाई हैं।
ना कोरोना खौफ करो ना मंजर पर ध्यान दो।
ये जिंदगी हैं मेरे दोस्त सबको फिर से जीने का ज्ञान दो।

नजर उतारने की कला अब सबको आनी चाहिए।
ये जिंदगी सरल नहीं हैं थोड़ी आफत भी आनी चाहिए।

परिचय :- डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
मूल निवासी : अमझेरा, जिला धार (म.प्र.)
जन्म दिनांक : १२/११/१९६६
शिक्षा : एम.ए.,एमफिल, पीएच.डी
* वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक
* शिक्षाविद्‌
* भूगोलवेत्ता
* पीएचडी शोध सुपरवाईजर
* कवि, कहानीकार व लेखक
सम्प्रति : (सहायक कुलसचिव ) नागपुर (महाराष्ट्र)
सम्मान : ग्राम गौरव अवार्ड, समाज रत्न सम्मान, समाज भूषण अवार्ड, उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, प्रखर प्रवक्ता सम्मान, साहित्य रत्न और साहित्य भूषण सम्मान, यंग ज्याग्राफर्स अवार्ड, क्रांतीकारी लेखक सम्मान, उत्कृष्ट मंच संचालक सम्मान, शब्द अलंकरण सम्मान, सरस्वती मानस सम्मान, उत्कृष्ट समाज सेवक सम्मान आदी सम्मान से सम्मानीत।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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