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अपेक्षा और उपेक्षा

ममता श्रवण अग्रवाल (अपराजिता)
धवारी सतना (मध्य प्रदेश)
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जब मन में न हों अपेक्षाएं,
तब दर्द नहीं देती उपेक्षाएं।
दर्द को समेटे अपनी झोली में,
ये मन सदा यूँ ही मुस्कुराये।।

खुशियों को जब हम ढूंढते है,
किसी और की निगाह से।
और जब मिलते हैं वहाँ कांटे,
फिर भटक जाते हैं हम राह से।।

आ जाती है मन में एक हुक,
कि, ऐसा क्यों हुआ मेरे साथ।
अरे ये जमाने का ही चलन है,
क्यों न समझी अब तक बात।।

कभी जमाना साथ चले न,
जब तक आप चलें अकेले।
पर जिनको है लक्ष्य को पाना,
चलें अकेले वे अलबेले।।

और जब मिल जाती उनको मंजिल,
सब आ जाते हैं देने साथ।
और दिखाते हैं अपनापन,
थाम के अपने हाँथो में हाँथ।।

अतः अपेक्षा और उपेक्षा की,
हमको हो परवाह नही।
हम सदा चलें अकेले ही,
बस चलें हम राह सही।।

परिचय :- ममता श्रवण अग्रवाल (अपराजिता)
निवासी – धवारी सतना (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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