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उम्मीद का दामन

बबली राठौर
पृथ्वीपुर टीकमगढ़ (म.प्र.)
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३० मापी

मेरा मन ये प्यासा है कोरे कागज की तरह से
दिल ये प्यार में घायल है कोरे कागज की तरह से

जीवन में मेरे कोई कमी नहीं उजली राहों की
और तो और ना ही जिन्दगी में अरे बहरों की
क्यों दिल कहता है तुम्हारे कि मेरे अफसानों की
और ये दिल दिल खोया है कोरे कागज की तरह से
मेरा मन ….

जीवन में अरे मैंने सपना देखा बनूँ दुल्हन की
और खिलौना नहीं है ये दिल भी किसी से खेले की
हमेशा रहा है उमंगे लिए अपने मन अन्तिस की
दिल बसा तुममें है, मन है कोरे कागज की तरह से
मेरा मन ….

जीवन में रोशनी मिली है हमें तो हाँ बहरों की
और हमें जिन्दगी में कुछ उम्मीदें हैं तुमसे भी
तुम तो सुनना कुछ हमारे इस सौगात भरे दिल की
जो तुम्हें याद करता है कोरे कागज की तरह से
मेरा मन ….

परिचय :- बबली राठौर
निवासी – पृथ्वीपुर टीकमगढ़ म.प्र.
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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