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कहने को सब कुछ है अपना

प्रो. आर.एन. सिंह ‘साहिल’
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
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रहा अधूरा सारा सपना
कहने को सब कुछ है अपना
किया समर्पित सब कुछ लेकिन
सूना है पर मन का अंगना

सिमट चुके हैं रिश्ते सारे
हैं अतीत अब सभी सहारे
फंसे तिमिर के चक्रव्यूह में
सम्भव लगता नहीं निकलना

गूँगा बहरा हुआ ज़माना
सच हो जाता यहाँ फ़साना
न्याय यहाँ गूँगा बहरा है
क्या अनशन क्या देना धरना

सावन भी पतझड सदृश है
मन अधीर तन निःशेषित है
मन ही अगर अशान्त रहे तो
कैसा सजना और संवरना

दुनिया का दस्तूर अजब है
सही झूँठ में फ़र्क़ खतम है
कौन रक़ीब है कौन है साहिल
दुष्कर अब हो रहा परखना

परिचय :- प्रोफ़ेसर आर.एन. सिंह ‘साहिल’
निवासी : जौनपुर उत्तर प्रदेश
सम्प्रति : मनोविज्ञान विभाग काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
रुचि : पुस्तक लेखन, सम्पादन, कविता, ग़ज़ल, १०० शोध पत्र प्रकाशित, मनोविज्ञान पर १२ पुस्तकें प्रकाशित, ११ काव्य संग्रह सम्पादित, अध्यक्ष साहित्यिक संस्था जौनपुर उत्तर प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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