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सबकुछ हैं वो

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रचयिता : शिवम यादव ”आशा”

क्या होती है माँ
वो माँ से पूछो
क्या होता है पिता
वो एक पिता से पूछो।
खुद के सपनों को
चकनाचूर करके
तुमको क्या क्या दिया
जरा मुङकर तो देखो।।
तुम अपने ही ख्वाबों में
डूबे हो
अपनी शौक के खातिर
ही जिद् करते हो
जरा उनके अरमानों को
उनके दिल पर हाथ
रखकर तो देखो।
कैसा दिल होता है उनका
जरा खुद को उनमें
ढालकर तो देखो।।
माँ-पिता ने तुमसे
कितने आसरे लगाए होंगे
कभी खुद भी
इसपर सोचकर तो देखो।
कितने अपने हौंसलों को
आग देकर उन्होंने
तुमको उजाले में
ला खङा किया है
ये जरा खुद में
झाँककर तो देखो।।
लेखक परिचय : नाम शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं
रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन “

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